The song’s spiritual undertones and Kailash Kher’s powerful vocal delivery make it a memorable piece that resonates with listeners seeking solace and hope. Whether played in moments of reflection or as a source of comfort, "Ya Rabba" continues to be an iconic track that touches hearts with its timeless message of seeking peace and understanding in the face of life's challenges.
Composer | Shankar Ehsaan Loy |
Lyricist | Sameer |
Singer | Kailash Kher |
Album | Salaam-E-Ishq |
Record Label | Super Cassettes Industries Limited |
Song Release Year |
प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
इस प्यार में हों कैसे-कैसे इम्तिहाँ
ये प्यार लिखे कैसी-कैसी दास्ताँ
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
कैसा है सफ़र वफ़ा की मंज़िल का
ना है कोई हल दिलों की मुश्किल का
धड़कन-धड़कन बिखरी रंजिशें
साँसें-साँसें टूटी बंदिशें
कहीं तो हर लमहा होंठों पे फ़रियाद है
किसी की दुनिया चाहत में बर्बाद है
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
कोई ना सुने सिसकती आहों को
कोई ना धरे तड़पती बाँहों को
आधी-आधी पूरी ख़्वाहिशें
टूटी-फूटी सब फ़रमाइशें
कहीं शक है, कहीं नफ़रत की दीवार है
कहीं जीत में भी शामिल पल-पल हार है
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला? हो-हो
ना पूछो दर्द बंदों से
हँसी कैसी, ख़ुशी कैसी
मुसीबत सर पे रहती है
कभी कैसी, कभी कैसी
हो, रब्बा
रब्बा
रब्बा, हो
हो, रब्बा