Composed by the legendary duo Laxmikant-Pyarelal, the song captures a sense of desolation and reflection, perfectly complementing the film's narrative. Javed Akhtar's evocative lyrics paint a picture of a world that has fallen silent and still, enhancing the song's emotional depth. The music, characterized by its soft rock elements and melodic structure, creates an atmosphere of melancholy and contemplation.
Composer | Pyarelal,Laxmikant |
Lyricist | Javed Akhtar |
Singer | Nitin Mukesh,Shabbir Kumar,Alka Yagnik |
Album | Tezaab |
Record Label | Super Cassettes Industries Limited |
Song Release Year |
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
सो गईं हैं सारी मंज़िलें, ओ, सारी मंज़िलें
सो गया है रास्ता
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
सो गईं हैं सारी मंज़िलें, ओ, सारी मंज़िलें
सो गया है रास्ता
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
रात आई तो वो जिनके घर थे वो घर को गए सो गए
रात आई तो हम जैसे आवारा फिर निकले राहों में और खो गए
रात आई तो वो जिनके घर थे वो घर को गए सो गए
रात आई तो हम जैसे आवारा फिर निकले राहों में और खो गए
इस गली, उस गली, इस नगर, उस नगर
जाएँ भी तो कहा जाना चाहें अगर?
हो, सो गईं हैं सारी मंज़िलें, ओ, सारी मंज़िलें
सो गया है रास्ता
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो
हो पास तो ऐसे चुप ना रहो
हम पास भी हैं और दूर भी हैं
आज़ाद भी हैं, मजबूर भी हैं
क्यूँ प्यार का मौसम बीत गया?
क्यूँ हमसे ज़माना जीत गया?
हर घड़ी मेरा दिल ग़म के घेरे में है
ज़िंदगी दूर तक अब अँधेरे में है
अँधेरे में है, अँधेरे में है
हो, सो गईं हैं सारी मंज़िलें, ओ, सारी मंज़िलें
सो गया है रास्ता
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ
सो गया ये जहाँ, सो गया आसमाँ