The verses poetically depict the journey of two hearts intertwined, celebrating the beauty of togetherness amidst life's ups and downs. Gulzar's evocative imagery and lyrical finesse add a profound dimension to the song, resonating with listeners on a sentimental level.
Composer | A. R. Rahman |
Lyricist | Gulzar |
Singer | Sonu Nigam |
Album | Saathiya |
Record Label | YRF Music |
Song Release Year |
साथिया साथिया मद्धम मद्धम तेरी गीली हसी
साथिया साथिया सुनके हमने सारी पीई ली हसी
हस्ती रहे तू हस्ती रहे हया की लाली खिलती रहे
ज़ुल्फ़ के नीचे गर्दन पे सुबह आ शाम मिलती रहे
हस्ती रहे तू हस्ती रहे हया की लाली खिलती रहे
ज़ुल्फ़ के नीचे गर्दन पे सुबह आँ शाम मिलती रहे
सौंधी सी हसी तेरी खिलती रहे मिलती रहे
पीली धूप पहनके तुम देखो बाग़ में मत जाना
भौरे तुम को सब छेड़े.गए फूलों में मत जाना
मध्यम मध्यम हस दे फिर से
सोना सोना फिर से हस दे
ताज़ा गिरे पत्ते की तरह सब्ज़े लान पर लेटे हुवे
सात रंग हैं बहारूं के एक आदा में लपेटे हुवे
सावन बादल सारे तुम से
मौसम मौसम हस्ते रहना
मौसम मौसम हस्ते रहना
साथिया साथिया…पी ली हसी
कभी नीले आसमान पे चलो घूमने चलें हम
कोई अब्र मिल गया तो ज़मीन पे बदास लें हम
तेरी बाली हिल गयी है
कभी शब् चमक उठी है
कभी शाम खिल गयी है
तेरे बालों की पनाह में हो यह सारी रात गुज़ारे
तेरी काली काली आँखें कोई उजाली बात उतरे
तेरी एक हसी के बदले मेरी यह ज़मीन ले ले
मेरा आसमां ले ले
साथिया साथिया…पी ली हसी
बर्फ गिरी हो वादी में उन में लिपटी सिमटी हुई
बर्फ गिरी हो वादी में और हसि तेरी गूँजे
उन में लिपटी सिमटी हुई बात करे धुंआ निकल
गरम गरम उजाला धुंआ
नरम नरम उजाला धुंआ