The music arrangement is rich, featuring traditional Indian instruments like the flute and tabla, blending seamlessly with orchestral strings, creating a soothing and serene melody. Javed Ali's soulful voice adds a layer of depth and emotion, making this song a timeless classic.
Composer | A. R. Rahman |
Lyricist | Javed Akhtar |
Singer | Javed Ali |
Album | Jodhaa Akbar |
Record Label | Sony Music Entertainment India Pvt. Ltd. |
Song Release Year |
कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
फूल से खुशबू ख़फ़ा-खफा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फिज़ा की चिलमन में
सारे सहमे नज़ारे हैं
सोये-सोये वक्त के धारे हैं
और दिल में खोई-खोई सी बातें हैं
हो हो कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
फूल से खुशबू ख़फ़ा-खफा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फिज़ा की चिलमन में
कैसे कहें क्या है सितम
सोचते हैं अब ये हम
कोई कैसे कहे वो हैं या नहीं हमारे
करते तो हैं साथ सफर
फासले हैं फिर भी मगर
जैसे मिलते नहीं किसी दरिया के दो किनारे
पास हैं फिर भी पास नहीं
हमको ये गम रास नहीं
शीशे की इक दीवार है जैसे दरमियाँ
सारे सहमे नज़ारे हैं
सोये-सोये वक्त के धारे हैं
और दिल में खोई-खोई सी बातें हैं
हो हो कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
फूल से खुशबू ख़फ़ा-खफा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फिज़ा की चिलमन में
हमने जो था नगमा सुना
दिल ने था उसको चुना
ये दास्तान हमें वक्त ने कैसी सुनाई
हम जो अगर हैं गमगीं
वो भी उधर खुश तो नहीं
मुलाकातों में है जैसे घुल सी गई तन्हाई
मिलके भी हम मिलते नहीं
खिलके भी गुल खिलते नहीं
आँखों में हैं बहारें, दिल में खिज़ा
सारे सहमे नज़ारे हैं
सोये-सोये वक्त के धारे हैं
और दिल में खोई-खोई सी बातें हैं
हो हो कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
फूल से खुशबू ख़फ़ा-खफा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फिज़ा की चिलमन में