Hoor stands out for its contemporary sound, emotional lyrics, and Atif Aslam's exceptional vocal performance. It captures the essence of love and celebration, making it a popular choice for both romantic moments and festive occasions. The song's groovy rhythm and heartfelt melody ensure its place as an evergreen favorite among fans of Bollywood music.
Composer | Jigar,Sachin |
Lyricist | Priya Saraiya |
Singer | Atif Aslam |
Album | Hindi Medium |
Record Label | T-Series |
Song Release Year |
लफ़्ज़ों के हसीं धागों में कहीं
पिरो रहा हूँ मैं कब से में हुज़ूर
कोशिशें ज़रा है निगाहों की
तुझे देखने की खता ज़रुर
"दीवानगी" कहूँ इसे या है मेरा फ़ितूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर
कैसे दूर तुझसे मैं रहूँ?
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
ख्वाबों में जो तू देखे मेरे
तुझसे ही होता इश्क़ है
"उल्फ़त" कहो इसे मेरी ना कहो है मेरा क़सूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर