Chaudhvin Ka Chand is a timeless romantic ballad from the golden era of Bollywood, immortalized by Mohammed Rafi's enchanting voice. The song, which translates to "The Moon of the Fourteenth Night," is a poetic ode to the beauty of the beloved, comparing her radiance to the full moon. The lyrics, rich in Urdu poetry, evoke a sense of deep admiration and love. The melody is gentle and soothing, perfectly complementing Rafi's soulful singing. The orchestral arrangement, featuring traditional Indian instruments, adds to the song's ethereal quality, making it a perfect blend of classical and contemporary sounds.
Composer | Ravi |
Lyricist | Shakeel Badayuani |
Singer | Mohd.Rafi |
Album | Chaudhvin Ka Chand |
Record Label | Cappo digital |
Song Release Year |
चौदहवीं का चाँद हो या अफताब हो
जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो या अफताब हो
जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो
जुल्फ़ें हैं जैसे कांधों पे बादल झुके हुए
जुल्फ़ें हैं जैसे कांधों पे बादल झुके हुए
आँखें हैं जैसे मय के प्याले भरे हुए
मस्ती हैं जिसमे प्यार की तुम वो शराब हो
चौदहवीं का चाँद हो या अफताब हो
जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो
चेहरा है जैसे झील में हँसता हुआ कँवल
चेहरा है जैसे झील में हँसता हुआ कँवल
या जिंदगी के साज़ पे छेड़ी हुई गज़ल
जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो
चौदहवीं का चाँद हो या अफताब हो
जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो
होंठों पर खेलती हैं तब्बसुम की बिजलियाँ
होंठों पर खेलती हैं तब्बसुम की बिजलियाँ
सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कहकशां
दुनिया-ए-हुस्नों इश्क़ का तुम ही शबाब हो
चौदहवीं का चाँद हो या अफताब हो
जो भी हो तुम खुद की कसम लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो