The duet showcases the seamless harmony between Hariharan and Sadhana Sargam's voices, their vocals intertwined in a tender and emotive performance. The gentle melody, supported by orchestral arrangements, adds depth to the song, making it an ethereal listening experience. The use of traditional instruments alongside contemporary orchestration brings a fusion of old and new, appealing to a broad audience.
Composer | A. R. Rahman |
Lyricist | Javed Akhtar |
Singer | Hariharan,Sadhana Sargam |
Album | Minsara Kanavu |
Record Label | Saregama India Ltd. |
Song Release Year |
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीन पे आ
बैठेंगे बाते करेंगे
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीन पे आ
बैठेंगे बाते करेंगे
तुझको आते इधर लाज़ आये अगर
ओढ के आजा तू बादल घने
गुलशन गुलशन वाड़ी वाड़ी
बहती है रेशम जैसी हवा
गुलशन गुलशन वाड़ी वाड़ी
बहती है रेशम जैसी हवा
जङ्गले जंगल पर्वत पर्वत
है नींद में सब एक मेरे सिवा
चंदा चंदा चंदा
आजा सपनो की नीली नदियो में नहाए
इन तारो को छुपकर हम और बनाए
इन धुँधली रातों में
हम दोनों ही खो जाये
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीन पे आ
बैठेंगे बाते करेंगे
तुझको आते इधर लाज़ आये अगर
ओढ के आजा तू बादल घने
चंदा से पूछेंगे
हम सारे सवाल निराले
झरने क्यों गेट है
पंछी क्यों मतवाले
क्यों है सावन महिना घटाओं का
चंदा से पूछेंगे
हम सारे सवाल निराले
चंदा चंदा तितली के पर क्यों
इतने रंगीन होते है
जुगनू रातो में जगे तो
कब सोते है
इन धुँधली रातों में
हम दोनों ही खो जाये
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीन पे आ
बैठेंगे बाते करेंगे
तुझको आते इधर लाज़ आये अगर
ओढ के आजा तू बादल घने.