It remains a timeless piece that evokes a sense of spiritual reflection and emotional connection. The song's enduring appeal lies in its ability to touch the soul and provide solace, making it a favorite among those who seek comfort and inspiration through music.
Composer | Liyakat Ajmeri |
Lyricist | A.M.Turaz |
Singer | Swati Sharma,Rahat Fateh Ali Khan |
Album | 1:13:7 Ek Tera Saat |
Record Label | Zee Music Company |
Song Release Year |
क्या चीज़ ज़िन्दगी है महसूस किया होता
टुकड़ों में अगर बता-ते मैं यूँ न जीया होता
ए मेरे खुदा तूने इतना तो किया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
मैं कैसे सहूँ बढती हुयी ये दूरियां
ले लेती है जान पल पल मेरी मजबूरियां
अब दिल को सँभालु मैं या खुद को संभालो
तू ही बता दे तनहा मैं किस किस को सँभालु
क्या मेरा अब कहीं कोई भी न रहा
ज़िन्दगी तरस गयी सुनने को एक सादा
मुझको भी संभल ने को कोई तो दिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
यूँ तन्हाई से जुड़ गया सिल सिला
हाँ मुझको कभी दुःख से शिव कुछ न मिला
ज़ख्मो से नहीं शिकवा पर मरहम तो लगता
मेरे लिए भी राहत का एक लम्हा तो बनता
किस खता की सज़ा दी मुझे ये बता
तुझपे इतना क्या इतना भी हक नहीं था मेरा
जाके दामन मेरा थोड़ा तो सिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
क्या चीज़ ज़िन्दगी है महसूस किया होता
टुकड़ों में अगर बता-ते मैं यूँ न जीया होता
ए मेरे खुदा तूने इतना तो किया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता
या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता